आत्मा का ईंधन
आत्मा का ईंधन शरीर का ईंधन भोजन और श्वास है ,प्रतिपल शरीर को श्वास की जरूरत होती है।श्वास ना मिले तो शरीर का जीवन से संबंध टूट जाता है।श्वास सेतु है। उससे हमारा शरीर से अस्तित्व जुड़ा रहता है। श्वास दिखाई नहीं देती, सिर्फ उसके परिणाम ही दिखाई देता हैं कि मनुष्य जीवित है।जब श्वास चली जाती है तभी परिणाम ही दिखाई देता हैं ।श्वास का जाना तो दिखाई नहीं देता है।यह दिखाई देता है कि मनुष्य की मृत्यु हो गयी है। मस्तिष्क का ईंधन अध्ययन ,चिंतन -मनन और अध्यापन है ,अगर मनुष्य अध्यन नहीं करता, विचारशील नहीं होता है तो उसका सम्बन्ध मस्तिस्क से टूट जाता है ,दिखाई नहीं देता पर मनुष्य की मानसिक मौत हो जाती है। प्रेम आत्मा का ईंधन है , प्रेम आत्मा में छिपी परमात्मा की एक असीम ऊर्जा है । प्रेम परमात्मा तक पहुंचने का आसान मार्ग है। प्रेम करने जैसी कोई चीज नहीं है ,प्रेम बना जा सकता है। जब आप प्रेम बन जाते हो तो इस प्रेम रूपी तरंग से जो भी आपके नजदीक आता है प्रेममय हो जाता है। एक ऐसी अवस्था जिसमें आप अपने आप में , दूसरे किसी मनुष्य में या अन्य जीव को या फिर पेड़ -पौधो में भी उस आत्मा रूपी ऊर्जा