भिखारी और रंगदारी।

 भिखारी और रंगदारी। 

ये संसार है न संसार। इसमें हर वस्तु दो क्वीलिटी में पाई जाती है। एक हाई क्वीलिटी और दूसरा निम्न क्वालिटी। अब इस बाजार पर थोड़ा गौर कीजिये गौर कीजिये और हर वस्तु को देखिये ,आपको वस्तुये दो क्वालिटी में नजर आएगी। उच्य क्वालिटी ,उच्च दाम ,उच्च तकनिकी। यहाँ तक की उसका उपयोग करने बाले भी उच्च लोग। वहीं निम्न क्वालिटी ,निम्न दाम ,निम्न तकनिकी और उसका उपयोग करने वाले भी निम्न लोग। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति  कहीं ट्रिप पर जाता  है तो वह अपनी आर्थिक अस्तर के अनुसार ही होटल बुक कराता है ,जिसका खर्च कुछ सौ रूपये से लाखों तक हो सकती है। 

उसी प्रकार समाज में भिछाटन करने वाले लोगों की भी दो क्वालिटी है। एक निम्न ,जिसे हमलोग भिखारी कहते है ,ये निम्नवर्गीय लोगो के बीच मांग कर अपना पेट भरते है। और दूसरा है उच्च क्वालिटी जिसे हमलोग रंगदार या डॉन कहते है। जो उच्च वर्गीय लोग से माँग कर अपना पेट भरते है। यहाँ भी वही बात होती है ,उच्च क्वालिटी के भिखारी के पास उच्च तकनीक होती है ,अच्छे पैसे मिल जाते है। और ये सिर्फ उच्च लोगो के ही दरवाजे पर जाते है। 



जिसप्रकार भिखारी को न कह देने पर 'श्राप ' रूपी भय सताता है ,उसीप्रकार रंगदार को न कह देने पर अपहरण ,हत्या रूपी भय सताता है। जिसप्रकार भिखारी लोगों से मांगने के लिए जादू -टोना ,वाद्ययंत्र ,भगवान के नाम पर कुछ दे दो ,आदि हतयार का प्रयोग करते है। वहीं रंगदार उच्च तकनीक से बने गोला बारूद का प्रयोग करते है। 


जिसप्रकार भिखारियों की एक टोली होती है ,ठीक उसीप्रकार रंगदारों की भी एक गुट होती है। जिसतरह भिखारी के लिए भिछाटन एक कार्य प्रणाली है ,उसीतरह रंगदारों के लिए रंगदारी। जिसप्रकार भिखारियों का एक अधिकार क्षेत्र होता है उसीप्रकार रंगदारों का भी अपना अधिकार क्षेत्र होता है। आपने सुना होगा ,ये मुम्बई का डॉन ,ये दिल्ली का और पटना का। बड़ा समंजस है दोनों में। या यो कहिये भिखारियों का एक आधुनिक उत्तराधिकारी के रूप में रंगदारों का पदार्पण हुआ है तो मेरे समझ में अतिश्योक्ति नहीं होगी। दोनों दया के पात्र हैं क्युकि दोनों मरे हुए है, आश्रित हैं। मैं तो उच्च वर्गों से कहुगा ,अगर आ जाते है दरवाजे पर तो कुछ दे दीजिये। रहीम साहब तो बहुत पहले कह चुके हैं !

"वे नर जो मर चुके ,जो कबहुँ को मागत जाय। 

उनसे पाहिले वो मुये ,जिन मुख निकसत नाही। '

-पवन कुमार (मानव संसाधन व्यवस्थापक )

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