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मेरा गाँव-लछुआड़ (जैन, हिंदू और मुस्लिम का संगम) MY VILLAGE- LACHHUAR(Confluence Of Jain, Hindu & Muslim)

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My Village मेरा गाँव  सिकंदरा से ५-६ किलोमीटर दछिण स्थित एक छोटा -सा पूर्णतः प्रकिर्ति की गोद में वसा एक ऐतिहासिक एबं शांत  गाँव है , जिसका  नाम है "लछुआड़ "। यूं तो किसी गाँव का नामंकरण के पीछे कोई न कोई कारण होता है , इस गाँव के नामांकरण के पीछे भी एक कारण है। माना जाता है की लिच्छवि वंशिये राजा सिद्धार्थ इसी के दछिण स्थित पहाड़ियों के नीचे राजभवन में रहा करते थे। जहाँ बहुवारी नदी के दो महत्वपुर्ण घाटियों (छत्रिये कुण्ड और ब्रह्मण कुंड )के किनारे बने मंदिरो के शिखाओ पर स्थित कांस्य कलशों को निहारने में बेहद आनंद की अनुभूति होती थी। शायद इसी कारणवश इस गाँव का नाम लिच्छवी वाड़ी पड़ा हो जो कालांतर में लछुआड़ नाम से जाना जाता है।  यह कहानी लगभग २५६१  वर्ष पूर्व की है ,राजा सिद्धार्थ का विवाह वैशाली गणराज्य के राजा चेटक के पुत्री त्रिशला से हुयी और उनके प्रथम पुत्र का जन्म छत्रये के सामाजिक नियम के अनुसार वैशाली  हुयी होगी। तीसरे संतान के रूप में वर्धमान महावीर का पदार्पण चैत्र शुक्ला पछ त्रोदशी के दिन दीर्घा और इन्द्राणी पर्वत श्रेणियों के उस पार बहुवारी नदी के पच्छिम स्थित राजभवन म