Who I am?

 It is very difficult to define "Who I am?"

शायद अपने आप को समझ लेना ही दुनिया का सभी समस्याओं का हल है। 

अभी तक  जितना मैं अपने आप को समझ पाया हूँ ,वो चंद शब्दों के जरिये मैं आपलोगों से साझा करना चाहता हूँ ,और ये अनुभूति मुझे एक लंबे समय  से विचारशील रहने से  हुआ है। 

"मैं" शब्द का उच्चारण करते ही मुझे ऐसा बोध होता है कि मेरा अस्तित्व इस शरीर से परे है , मेरी दिनचर्या ,मेरा नाम,इच्छाएँ ,सफलताएं -असफतायें ,भावना ,जरुरत ,आय-व्यय , परिवार ,समाज ,पेशा से इसपर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता। 

यह शरीर जिसमें मैं रहता हूँ ,इसको स्वच्छ एवं सुन्दर रखना मेरी जिम्मेदारी है ,मेरे मन की इच्छाएँ हैं ,जिसकी पूर्ति  करते रहना भी समयानुसार आवश्यक है ,इसीकारण मैं किसी न किसी प्रॉफ़ेसन से जुड़कर Source of income को Create करते है ताकि अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूरा की जा सके। मेरे मन और शरीर को इमोशन ,सेफ्टी की आवश्कता पड़ती है ,इसलिए मैं परिवार बनाना तथा उससे जुड़कर रहना पसंद करता हूँ। 

सफलता मिलने पर मन प्रसन्न होता है ,असफलता मिलने पर दुःखी होता है ,लेकिन इसका कोई असर मेरे ऊपर नहीं होता। मेरे लिए परिवार का अस्तितिव एक आदर एवं जिम्मेदारी मात्र है। 

मेरा धार्मिक होना,किसी देवी देवता की पूजा करना भी मेरी मन की एक सकारात्मक इच्छा मात्र है, यह भी मेरे "मैं "शब्द से प्रभावित नहीं होता है। 

मेरी आय ,व्यावसायीक तरक्की ,मेरी लौकिक पहचान भी मेरे शरीर के लिए आवश्यक है ,मेरे लिए नहीं। 

'मैं ' एक विशाल ऊर्जा श्रोत का एक शुक्ष्म अंश अपने इस शरीर के अंदर महसूस करता हूँ,जो कभी भी बाहर निकलकर इस स्थूल शरीर को देख सकता हूँ ,अपने मन की इच्छाओं पर शासन कर सकता हूँ ,अपनी बौद्धिक ,शैक्षणिक ,क्षमताओं का आवस्यकता अनुसार उपयोग भी कर सकता हूँ। मेरी कोशिश है की जीवन में मेरे द्वारा किसी भी जीव -जंतु का अनहित न की जाय। सभी को प्रेम भाव से देखा जाय ,समानता की भाव से देखा जाय। अपने किसी व्यक्तिगत इच्छाओं की पूर्ति के लिए ,दूसरे की अनहित न की जाय। 

सभी जीवों की यथासंभव मदद की जाय ,खास कर मानव  जीवन के अत्यंत सहयोगी "पेड़ -पौधे " की रक्षा एवं संरक्षण में अपना ध्यान दिया जाय। 

दैनिक किर्याकलाप को सुचारु रूप से सम्पन करते हुए ,शांत भाव से अपने अस्तित्व का स्मरण करना और वो विशाल ऊर्जा स्रोत ,जिसका हम सभी एक अंश हैं ,स्मरण करते हुए ,परोपकार को सर्वोपरि मानकर ,जीवन का आनंद लेता हूँ।   


-पवन कुमार 



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