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Who I am?

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 It is very difficult to define "Who I am?" शायद अपने आप को समझ लेना ही दुनिया का सभी समस्याओं का हल है।  अभी तक  जितना मैं अपने आप को समझ पाया हूँ ,वो चंद शब्दों के जरिये मैं आपलोगों से साझा करना चाहता हूँ ,और ये अनुभूति मुझे एक लंबे समय  से विचारशील रहने से  हुआ है।  "मैं" शब्द का उच्चारण करते ही मुझे ऐसा बोध होता है कि मेरा अस्तित्व इस शरीर से परे है , मेरी दिनचर्या ,मेरा नाम,इच्छाएँ ,सफलताएं -असफतायें ,भावना ,जरुरत ,आय-व्यय , परिवार ,समाज ,पेशा से इसपर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता।  यह शरीर जिसमें मैं रहता हूँ ,इसको स्वच्छ एवं सुन्दर रखना मेरी जिम्मेदारी है ,मेरे मन की इच्छाएँ हैं ,जिसकी पूर्ति  करते रहना भी समयानुसार आवश्यक है ,इसीकारण मैं किसी न किसी प्रॉफ़ेसन से जुड़कर Source of income को Create करते है ताकि अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूरा की जा सके। मेरे मन और शरीर को इमोशन ,सेफ्टी की आवश्कता पड़ती है ,इसलिए मैं परिवार बनाना तथा उससे जुड़कर रहना पसंद करता हूँ।  सफलता मिलने पर मन प्रसन्न होता है ,असफलता मिलने पर दुःखी होता है ,लेकिन इसका कोई असर मेरे ऊपर नहीं होता।

खरे सोने की कहानी!

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 खरे सोने की कहानी   जी हाँ ! खरे सोने कि कहानी !अजीबोग़रीब,आश्चर्यपूर्ण परन्तु काल्पनिक! एक सोना का टुकड़ा ,मटमैला ,कई अशुद्धियो से भरा हुआ, जिसे एक साधारण आदमी ने धरती माँ की गोद में छिपा बैठा देख लिया। उन्होंने उसे बहुत ही प्यार से उठाया, पानी से धोया फिर विभिन्न तरीकों से उसे पहचानने की कोशिश की ,पूर्ण विस्वश्त होकर उसे गावं के किसी जोहरी के यहाँ उसे शुद्ध करने को दिया। भला गावं का जोहरी आधुनिक तकनीकों के अभाव में जो कुछ शुद्ध हो पाया वो हुआ ,पुनः वह सोने को लौटा दिया।  साधारण आदमी ने उसे फिर एक छोटे से शहर के जोहरी के हाथों दे दिया,उसने भी उसे हद तक शुद्ध किया। पुनः लौटा दिया। अब वो साधारण आदमी सोने में और निखार लाने के लिए एक बड़े शहर में भेजा ,पर वहाँ जाकर न वो सोना शुद्ध हो पाया न ही अशुध्दता की कोई दाग लगी। साधारण आदमी को बड़ा असंतोष हुआ और उसने सोने कुछ दिन तक अपने पास रखा। सोना उस आदमी के पास पड़ा रहा ,जब जब जरुरत पड़ी ,उसने सोने से काम लिया। कुछ दिन बाद वो आदमी को एक बड़े शहर में एक अच्छे जोहरी का पता चला ,उसने जोहरी को वो सोना शुद्ध करने के लिए दे दिया। जोहरी जिसे वो सोना मिला उस

प्याली की आत्मकथा!

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                                                     प्याली की आत्मकथा    जी हाँ !प्याली की आत्मकथा ! आपने किसी लेखक ,वैज्ञानिक ,फ़िल्मकार की आत्मकथा  सुनी होगी ,परन्तु प्याली की आत्मकथा ,बड़ा अजीब सा शीर्षक है,पर मैं क्या करू आज मैं विवश हो गया हूँ लिखने को। यह कोई मधुशाला के प्याली की कहानी नहीं ,बल्कि एक गरीब कुम्हार के हाथों बने मिट्टी की प्याली की कहानी है। गीली मिट्टी चाक पर घुमघुमा कर बड़े ही प्यार से कुम्हार ने एक प्याली को जन्म दिया।  जेठ की कड़ी दुपहरी में उसे सुखाया,फिर जीवन में आने वाले कठिनाई से जूझने के लिए आग की लहलहाती भठी में डाल दिया। आग की झुलस में परिपक्वता को पाकर सुन्दर सी प्याली अपने रूप यौवन पर गर्व से मुस्काई।  फिर शायद कुम्हार को यकीं नहीं आयी, उसने उसकी मजबूती की परीक्षा अपने नाखुनो से ठोक कर लिया। पूर्ण विश्वस्त हो जाने के बाद कुम्हार उसे अपने थैली में रखकर बाजार चला।  प्याली पूछी ,'हे पिता तुल्य देव !मुझे आप  कहाँ ले जा रहे है ?" घबराओ नहीं अब तुम्हें शहरों में रहना है ,कुम्हार की ये बात सुनकर प्याली खुश हो गयी।  कुम्हार एक चाय दुकान की छोटी सी टेबल पर

भिखारी और रंगदारी।

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  भिखारी और रंगदारी।  ये संसार है न संसार। इसमें हर वस्तु दो क्वीलिटी में पाई जाती है। एक हाई क्वीलिटी और दूसरा निम्न क्वालिटी। अब इस बाजार पर थोड़ा गौर कीजिये गौर कीजिये और हर वस्तु को देखिये ,आपको वस्तुये दो क्वालिटी में नजर आएगी। उच्य क्वालिटी ,उच्च दाम ,उच्च तकनिकी। यहाँ तक की उसका उपयोग करने बाले भी उच्च लोग। वहीं निम्न क्वालिटी ,निम्न दाम ,निम्न तकनिकी और उसका उपयोग करने वाले भी निम्न लोग। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति  कहीं ट्रिप पर जाता  है तो वह अपनी आर्थिक अस्तर के अनुसार ही होटल बुक कराता है ,जिसका खर्च कुछ सौ रूपये से लाखों तक हो सकती है।  उसी प्रकार समाज में भिछाटन करने वाले लोगों की भी दो क्वालिटी है। एक निम्न ,जिसे हमलोग भिखारी कहते है ,ये निम्नवर्गीय लोगो के बीच मांग कर अपना पेट भरते है। और दूसरा है उच्च क्वालिटी जिसे हमलोग रंगदार या डॉन कहते है। जो उच्च वर्गीय लोग से माँग कर अपना पेट भरते है। यहाँ भी वही बात होती है ,उच्च क्वालिटी के भिखारी के पास उच्च तकनीक होती है ,अच्छे पैसे मिल जाते है। और ये सिर्फ उच्च लोगो के ही दरवाजे पर जाते है।  जिसप्रकार भिखारी को न कह देने पर

एक कप चाय ! Ek cup chya.

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  एक कप चाय    चाय ! दो अक्षर का ये शब्द सुनते ही मन में उत्तेजना भर आती है ,सब कुछ नवीन जैसा लगने लगता है !एक गजब उमंग से पूरा शरीर भर जाता है।  चाय एक उत्तेजक पदार्थ है !यह भारत , श्रीलंका ,ब्राजील ,चीन में मुख्य रूप से उपजाई जाती है ,यह एक ऐसा पेय पदार्थ है जो विश्व के सभी देशों में एक पेय पदार्थ के रूप में ग्रहण किया जाता है।  भारत दुनियां का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश हैं, चाय का जन्म चीन में हुआ और आज तक चीन में सर्वाधिक मात्रा में चाय का उत्पादन होता हैं वहीँ निर्यात के मामले में श्रीलंका पहले स्थान पर हैं. जिसका लगभग सम्पूर्ण विदेशी व्यापार चाय पर निर्भर करता हैं. भारत में चाय के सम्बन्ध में एक हैरान करने वाला तथ्य यह है कि दौ सो वर्ष पूर्व यहाँ कोई व्यक्ति चाय से परिचित नहीं था मगर एक योजना के तहत सड़कों पर चाय के ड्रम रखे गये आने जाने वाले लोगों को मुफ्त में चाय पिलाई गई और इसका नतीजा यह हुआ कि आज एक अरब भारतीयों के दिन की शुरुआत चाय की प्याली से ही होती हैं. चाय के आविष्कार और इसकी पत्तियों की पहचान से जुड़ी रोचक कहानी चीन के एक शासक शेन की हैं. कहते है कि वे हमेशा उबला हु

मेरा गाँव-लछुआड़ (जैन, हिंदू और मुस्लिम का संगम) MY VILLAGE- LACHHUAR(Confluence Of Jain, Hindu & Muslim)

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My Village मेरा गाँव  सिकंदरा से ५-६ किलोमीटर दछिण स्थित एक छोटा -सा पूर्णतः प्रकिर्ति की गोद में वसा एक ऐतिहासिक एबं शांत  गाँव है , जिसका  नाम है "लछुआड़ "। यूं तो किसी गाँव का नामंकरण के पीछे कोई न कोई कारण होता है , इस गाँव के नामांकरण के पीछे भी एक कारण है। माना जाता है की लिच्छवि वंशिये राजा सिद्धार्थ इसी के दछिण स्थित पहाड़ियों के नीचे राजभवन में रहा करते थे। जहाँ बहुवारी नदी के दो महत्वपुर्ण घाटियों (छत्रिये कुण्ड और ब्रह्मण कुंड )के किनारे बने मंदिरो के शिखाओ पर स्थित कांस्य कलशों को निहारने में बेहद आनंद की अनुभूति होती थी। शायद इसी कारणवश इस गाँव का नाम लिच्छवी वाड़ी पड़ा हो जो कालांतर में लछुआड़ नाम से जाना जाता है।  यह कहानी लगभग २५६१  वर्ष पूर्व की है ,राजा सिद्धार्थ का विवाह वैशाली गणराज्य के राजा चेटक के पुत्री त्रिशला से हुयी और उनके प्रथम पुत्र का जन्म छत्रये के सामाजिक नियम के अनुसार वैशाली  हुयी होगी। तीसरे संतान के रूप में वर्धमान महावीर का पदार्पण चैत्र शुक्ला पछ त्रोदशी के दिन दीर्घा और इन्द्राणी पर्वत श्रेणियों के उस पार बहुवारी नदी के पच्छिम स्थित राजभवन म

My Profile Summery

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Pawan Kumar Manager-HR& Admin Phone: +91-9310969050 / E-Mail: pandeyhrd@gmail.Com     Aiming To Be Part Of Professional & Challenging Environment Where I Can Contribute To The Best Of My Skills And Utilize My Strengths To Contribute Significantly To The Organization THRough Dedication And Perseverance. Seeking A Suitable Position In The Different Areas Of Human Resource Management.  Dedicated & Determined To Assigned Work. Quick Learner, Adaptive & Co-Operative. Work Effectively In A Team.   Profile Summary     ®       Strong Blend Of Corporate & Plant HR , Abrupt To All Statutory & Technical Compliance .   ®       A Proactive, Matured & Seasoned Professional With Over 11 Years Of Experience In HRM Having Expertise In Developing, Recommending And Implementing Overall Human Resource Strategies And Policies In Support Of Business Objectives.   ®       Extensive Working Experience Of Corporate & P