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Showing posts from February, 2021

खरे सोने की कहानी!

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 खरे सोने की कहानी   जी हाँ ! खरे सोने कि कहानी !अजीबोग़रीब,आश्चर्यपूर्ण परन्तु काल्पनिक! एक सोना का टुकड़ा ,मटमैला ,कई अशुद्धियो से भरा हुआ, जिसे एक साधारण आदमी ने धरती माँ की गोद में छिपा बैठा देख लिया। उन्होंने उसे बहुत ही प्यार से उठाया, पानी से धोया फिर विभिन्न तरीकों से उसे पहचानने की कोशिश की ,पूर्ण विस्वश्त होकर उसे गावं के किसी जोहरी के यहाँ उसे शुद्ध करने को दिया। भला गावं का जोहरी आधुनिक तकनीकों के अभाव में जो कुछ शुद्ध हो पाया वो हुआ ,पुनः वह सोने को लौटा दिया।  साधारण आदमी ने उसे फिर एक छोटे से शहर के जोहरी के हाथों दे दिया,उसने भी उसे हद तक शुद्ध किया। पुनः लौटा दिया। अब वो साधारण आदमी सोने में और निखार लाने के लिए एक बड़े शहर में भेजा ,पर वहाँ जाकर न वो सोना शुद्ध हो पाया न ही अशुध्दता की कोई दाग लगी। साधारण आदमी को बड़ा असंतोष हुआ और उसने सोने कुछ दिन तक अपने पास रखा। सोना उस आदमी के पास पड़ा रहा ,जब जब जरुरत पड़ी ,उसने सोने से काम लिया। कुछ दिन बाद वो आदमी को एक बड़े शहर में एक अच्छे जोहरी का पता चला ,उसने जोहरी को वो सोना शुद्ध करने के लिए दे दिया। जोहरी जिसे वो सोना मिला उस

प्याली की आत्मकथा!

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                                                     प्याली की आत्मकथा    जी हाँ !प्याली की आत्मकथा ! आपने किसी लेखक ,वैज्ञानिक ,फ़िल्मकार की आत्मकथा  सुनी होगी ,परन्तु प्याली की आत्मकथा ,बड़ा अजीब सा शीर्षक है,पर मैं क्या करू आज मैं विवश हो गया हूँ लिखने को। यह कोई मधुशाला के प्याली की कहानी नहीं ,बल्कि एक गरीब कुम्हार के हाथों बने मिट्टी की प्याली की कहानी है। गीली मिट्टी चाक पर घुमघुमा कर बड़े ही प्यार से कुम्हार ने एक प्याली को जन्म दिया।  जेठ की कड़ी दुपहरी में उसे सुखाया,फिर जीवन में आने वाले कठिनाई से जूझने के लिए आग की लहलहाती भठी में डाल दिया। आग की झुलस में परिपक्वता को पाकर सुन्दर सी प्याली अपने रूप यौवन पर गर्व से मुस्काई।  फिर शायद कुम्हार को यकीं नहीं आयी, उसने उसकी मजबूती की परीक्षा अपने नाखुनो से ठोक कर लिया। पूर्ण विश्वस्त हो जाने के बाद कुम्हार उसे अपने थैली में रखकर बाजार चला।  प्याली पूछी ,'हे पिता तुल्य देव !मुझे आप  कहाँ ले जा रहे है ?" घबराओ नहीं अब तुम्हें शहरों में रहना है ,कुम्हार की ये बात सुनकर प्याली खुश हो गयी।  कुम्हार एक चाय दुकान की छोटी सी टेबल पर

भिखारी और रंगदारी।

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  भिखारी और रंगदारी।  ये संसार है न संसार। इसमें हर वस्तु दो क्वीलिटी में पाई जाती है। एक हाई क्वीलिटी और दूसरा निम्न क्वालिटी। अब इस बाजार पर थोड़ा गौर कीजिये गौर कीजिये और हर वस्तु को देखिये ,आपको वस्तुये दो क्वालिटी में नजर आएगी। उच्य क्वालिटी ,उच्च दाम ,उच्च तकनिकी। यहाँ तक की उसका उपयोग करने बाले भी उच्च लोग। वहीं निम्न क्वालिटी ,निम्न दाम ,निम्न तकनिकी और उसका उपयोग करने वाले भी निम्न लोग। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति  कहीं ट्रिप पर जाता  है तो वह अपनी आर्थिक अस्तर के अनुसार ही होटल बुक कराता है ,जिसका खर्च कुछ सौ रूपये से लाखों तक हो सकती है।  उसी प्रकार समाज में भिछाटन करने वाले लोगों की भी दो क्वालिटी है। एक निम्न ,जिसे हमलोग भिखारी कहते है ,ये निम्नवर्गीय लोगो के बीच मांग कर अपना पेट भरते है। और दूसरा है उच्च क्वालिटी जिसे हमलोग रंगदार या डॉन कहते है। जो उच्च वर्गीय लोग से माँग कर अपना पेट भरते है। यहाँ भी वही बात होती है ,उच्च क्वालिटी के भिखारी के पास उच्च तकनीक होती है ,अच्छे पैसे मिल जाते है। और ये सिर्फ उच्च लोगो के ही दरवाजे पर जाते है।  जिसप्रकार भिखारी को न कह देने पर